“गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर विश्व के समस्त गुरुजनों को मेरा शत् शत् नमन, जीवन का विकास सुचारू रूप से सतत् चलता रहे उसके लिये हमें गुरु की आवश्यकता होती है। भावी जीवन का निर्माण गुरू द्वारा ही होता है” उक्त विचार युवा नेता मोहित मदनलाल ग्रोवर ने गुरु पूर्णिमा कि अवसर पर ऑनलाइन मीटिंग में कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहे। गुरु पूर्णिमा से एक दिवस पहले स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि पर उन्होंने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि शांति, सदभाव एवं वेदांत दर्शन को विश्व में प्रचारित करने वाले युग पुरुष स्वामी विवेकानन्द जी ऐसे महान व्यक्तित्व थे जिन्होंने अपनी मुक्ति के लिए अपना घर परिवार त्याग दिया और फिर उसी मुक्ति को भारत और भारतवासियों के कल्याण के लिए त्याग दिया।
श्री ग्रोवर ने कहा कि गुरू शिष्य का संबन्ध सेतु के समान होता है। गुरू की कृपा से शिष्य के लक्ष्य का मार्ग आसान होता है। स्वामी विवेकानंद जी को बचपन से परमात्मा को पाने की चाह थी। उनकी ये इच्छा तभी पूरी हो सकी जब उनको गुरू परमहंस का आर्शिवाद मिला। गुरू की कृपा से ही आत्म साक्षात्कार हो सका। उन्होंने स्वामी विवेकानंद जी द्वारा समस्त मानवता को दिए गए संदेश “दरिद्रः देवो भवः” का जिक्र करते हुए कहा कि गरीब, दरिद्रः ये सब परमात्मा का रूप हैं हम सभी को इन गरीबो की परमात्मा समझ कर ही सेवा करनी चाहिए। जन की सेवा ही प्रभु की सेवा होती है।
उन्होंने युवाओं को कहा कि स्वामी विवेकानंद जी भले ही आज हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उनके आदर्श, उनके विचार, उनके सिद्धांत, उनके द्वारा मानवता को दिखाई गयी राह आज भी हमारे बीच जीवित है और हम सभी को प्रेरणा दे रही है। स्वामी जी ने नौजवानों को आह्वान करते हुये कहा था – उत्तिष्ठत, जाग्रत, प्राप्य-वरान्निबोधत!! कि उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य को प्राप्त ना कर लो।
मोहित ग्रोवर ने नौजवान साथियों से आह्वान किया कि आज हम में से प्रत्येक नौजवान का ये मकसद होना चाहिए कि हम सभी एक समृद्ध समाज की रचना कर सकें, जहाँ गरीब से गरीब व्यक्ति भी चिंता में नहीं, चैन में सोये। उन्होंने आगे कहा कि अगर आज हम सब नौजवान मिल करके एक बेहतर समाज बना सकें, एक बेहतर भारत बना सकें, तो मैं मानता हूँ यही स्वामी विवेकानंद जी के प्रति हम सभी की सच्ची श्रद्धांजलि होगी और गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु को दिया गया सच्चा उपहार होगा।







